आविन्यों के प्रश्न उत्तर - Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 9 Avinyo Subjective Question Answer
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आविन्यों के प्रश्न उत्तर - Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 9 Avinyo Subjective Question Answer |
Bihar Board Class 10th Hindi Chapter 9 Avinyo Subjective Question Answer
आविन्यों (ललित रचना)
अशोक वाजपेयी
आविन्यों के सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर :
Q1) आविन्यों क्या है? और वह कहाँ अवस्थित है?
Ans: आविन्यों एक ऐतिहासिक शहर है, जो दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के किनारे स्थित है। यह शहर प्रसिद्ध है क्योंकि एक समय पर यह पोप की राजधानी हुआ करता था। मध्ययुगीन काल में यहाँ ईसाई धर्म से जुड़े मठ और किलेबंदी भी थीं।
Q2) हर बरस् आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है?
Ans: हर वर्ष, आविन्यों में जुलाई के महीने में एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय रंगमंच समारोह होता है। यह यूरोप के सबसे बड़े कला और रंगमंच उत्सवों में से एक है, जिसमें नाटकों, नृत्य और संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं।
Q3) लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे? वहाँ उन्होंने क्या देखा - सुना ?
Ans: लेखक आविन्यों रंग समारोह में पीटर ब्रुक के महाभारत की पहली प्रस्तुति देखने के सिलसिले में गए थे। उन्हें इस प्रस्तुति को देखने का विशेष निमंत्रण मिला था। वहाँ उन्होंने पत्थरों की एक खदान में उस नाटक का प्रदर्शन देखा, जो आविन्यों से कुछ किलोमीटर दूर स्थित थी। यह प्रस्तुति लेखक को सच्चे अर्थों में महाकाव्यात्मक लगी।
अपने प्रवास के दौरान, उन्होंने बिशप के पुराने आंगन में कुमार गन्धर्व का एक गीत भी सुना, जो उन्हें बहुत प्रभावशाली लगा। उन्होंने यह भी देखा कि समारोह के समय चर्च और ऐतिहासिक स्थलों को रंगमंच में बदल दिया जाता है, जिससे पूरे शहर में कला और संस्कृति का माहौल छा जाता है।
Q4) ला शत्रूज का अंतरंग विवरण अपने शब्दो में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने उसके स्थापत्य को 'मौन का स्थापत्य 'क्यों कहा है?
Ans: ला शत्रूज एक ऐसा स्थान है, जहाँ कलाकार ईसाई संतों के पुराने कमरों (चैम्बर्स) में रहकर अपनी कला का अभ्यास और सृजन करते हैं। इस भवन का आंतरिक वातावरण शांतिपूर्ण और एकांत है। प्रत्येक चैम्बर में दो-दो सुंदर सुसज्जित कमरे हैं, जिनमें चौदहवीं सदी के पुराने फर्नीचर के साथ आधुनिक रसोईघर और स्नानागार भी हैं। यहाँ की विशेषता यह है कि दिन में सभी लोग अपने समय और सुविधा के अनुसार भोजन करते हैं, लेकिन रात के भोजन में वे सामूहिकता का अनुभव करते हैं।
दिन में लगभग पचास सैलानी इस स्थान का दौरा करने आते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह स्थान शांत, गंभीर और नीरव बना रहता है। यह निर्मल और शांत वातावरण कलाकारों को ध्यान और रचनात्मकता के लिए उपयुक्त लगता है। लेखक ने ला शत्रूज के स्थापत्य को 'मौन का स्थापत्य' इसलिए कहा है, क्योंकि यह स्थान अपने विशाल भवनों और गहरी शांति के कारण एक आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण अनुभव प्रदान करता है, जहाँ शोर-शराबे की कोई जगह नहीं है।
Q5) ला शत्रूज क्या है? और वह कहाँ अवस्थित है? आजकल उसका क्या उपयोग होता है?
Ans: ला शत्रूज एक ईसाई मठ है जो कार्यसियन सम्प्रदाय से जुड़ा हुआ है। यह फ्रांस के आविन्यों में, रोन नदी के दूसरी ओर एक किले में स्थित है।
पहले यह धार्मिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होता था, लेकिन आजकल इसे कला केंद्र के रूप में उपयोग किया जाता है। यहाँ पर रंगमंच और लेखन से जुड़ी गतिविधियाँ होती हैं, जो इसे कलाकारों और लेखकों के लिए खास बनाती हैं।
Q6) लेखक आविन्यों क्या साथ लेकर गए थे और वहाँ कितने दिनों तक रहे? लेखक की उपलब्धि क्या रही?
Ans: लेखक आविन्यों अपने साथ हिन्दी का टाइपराइटर, तीन-चार पुस्तकें, और टेप्स लेकर गए थे।
वे वहाँ 19 दिनों तक रहे। लेखक की इस अल्पावधि की उपलब्धि यह रही कि उन्होंने सिर्फ 19 दिनों में पैंतीस कविताएँ और सत्ताइस गद्य रचनाएँ लिखीं।
Q7) आविन्यों के प्रति लेखक कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं?
Ans: लेखक आविन्यों के प्रति अपना सम्मान इस तरह व्यक्त करते हैं कि वह इसे एक सुंदर, शांत और सघन जगह मानते हैं। उन्होंने वहाँ की रातों को निविड़, सुनसान, और भय से भरी हुई बताया, जो पवित्रता और आस्था से जुड़ी हुई थीं। यह किताब आविन्यों में बिताए गए समय की स्मृति है। लेखक ने वहाँ के ला शत्रूज मठ में रहकर जो कुछ लिखा, वही उनकी कवि-प्रणति बनी।
लेखक ने वहां जो कुछ पाया, उसके लिए उन्हें गहरी कृतज्ञता है, लेकिन जो खोया, उसकी भी गहरी पीड़ा है।
Q8) मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ?
Ans मनुष्य जीवन और पत्थर की समानता और विषमता इस प्रकार है:
समानताः
मनुष्य जीवन की तरह पत्थर भी कई परिस्थितियों में स्थिर रहता है। जैसे मनुष्य जीवन में चुनौतियाँ आती हैं, संकटों का सामना होता है, और फिर भी वह घबराता नहीं, वैसे ही पत्थर भी अपनी जगह पर स्थिर रहता है, बिना घबराए, बिना किसी बदलाव के।
विषमताः
पत्थर एक निर्जीव वस्तु है, जिसका कोई भावनात्मक या मानसिक विकास नहीं होता, जबकि मनुष्य में भावनाएँ, इच्छाएँ, और संवेदनाएँ होती हैं। मनुष्य समय के साथ बदलता और सीखता है, जबकि पत्थर हमेशा एक जैसा रहता है।
Q9) नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को क्या अनुभव होता है?
Ans: नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को यह अनुभव होता है कि जल स्थिर प्रतीत होता है, जबकि तट खुद बह रहा है। नदी के तट पर बैठना केवल नदी को देखना नहीं, बल्कि उससे जुड़ना और उसके प्रवाह का हिस्सा बनना है। लेखक महसूस करता है कि जब वह नदी के पास होता है, तो उसे खुद में नदी की झलक दिखाई देती है, और वह समझता है कि नदी का अनुभव केवल जल में ही नहीं, बल्कि तट पर भी किया जा सकता है।
Q10) नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ?
Ans: नदी तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल की याद आती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे नदी के चेहरे के समान हो जाते हैं। यह विचार इसलिए आता है क्योंकि विनोद कुमार शुक्ल ने एक कविता लिखी है जिसका नाम "नदी चेहरा लोगों" है। इस कविता में नदी के चेहरे को मानवीय भावनाओं और अनुभवों से जोड़कर देखा गया है, और लेखक को उसी कविता की याद नदी के पास बैठते हुए आती है।
Q11) किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता क्यों?
Ans: नदी और कविता के पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता, क्योंकि इन दोनों में एक ऐसा आकर्षण और गहराई होती है जो व्यक्ति को अपने प्रभाव में ले लेती है। जब कोई नदी के पास या कविता के संपर्क में आता है, तो वह उनके भावनात्मक और मानसिक प्रभाव से बच नहीं सकता। नदी के बहाव और कविता के शब्दों में एक ऐसी शक्ति होती है जो व्यक्ति को प्रभावित करती है और वह इनसे अलग नहीं रह पाता।
Q12) नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है?
Ans: नदी और कविता में कई समानताएँ पाई जाती हैं। जैसे नदी का जल निरंतर बहता रहता है, वैसे ही कविता के शब्द भी जीवन के अनुभवों को निरंतर व्यक्त करते हैं। नदी सदियों से हमारे साथ रही है, ठीक उसी तरह कविता भी मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बनी रहती है। नदी की तरह कविता भी समय के साथ बदलती और विकसित होती रहती है, और जैसे नदी जीवन को संजीवनी देती है, वैसे ही कविता भी हमारे जीवन में भावनाओं और विचारों को नया रूप देती है।