गोधूलि भाग 2 Class 10 Chapter 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर - Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 4 Subjective Question Answer
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Bihar Board Class 10th Hindi Matric Exam 2025 |
Nakhun Kyon Badhate Hain Question Answer - नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर
Q1. सुकुमार विनोदो के लिए नाखून की उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया ? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है ?
Ans:⇒ मनुष्य ने सुकुमार विनोदो के लिए नाखून का उपयोग कुछ हजार वर्ष पहले प्रारंभ किया। लेखक ने इस संदर्भ में वात्स्यायन के कामसूत्र का उल्लेख किया है, जिससे ज्ञात होता है कि लगभग 2000 वर्ष पूर्व भारतवासी नाखूनों की विशेष देखभाल करते थे। उस समय गौड़ देश के लोग बड़े-बड़े नख रखना पसंद करते थे, जबकि दक्षिणात्य लोग छोटे नखों को प्राथमिकता देते थे। लेखक ने इसे देश और काल की रुचि का विषय बताया है।
Q2. नाखन क्यों बढ़ते हैं? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?
Ans:⇒ नाखून क्यों बढ़ते हैं। यह प्रश्न लेखक के आगे उनकी बेटी ने रखा ।
लेखक के सामने यह प्रश्न तब आया जब उनकी छोटी बेटी ने उनसे सरल और मासूमियत भरे अंदाज में पूछा, "पापा, नाखून क्यों बढ़ते हैं?” यह सवाल सामान्य होते हुए भी लेखक के मन में एक गहरी जिज्ञासा उत्पन्न कर गया।
बेटी के इस प्रश्न ने लेखक को यह सोचने पर मजबूर किया कि हम अक्सर ऐसी साधारण घटनाओं पर ध्यान नहीं देते, जो हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होती हैं।
Q3. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य की क्या याद दिलाती है ?
Ans:⇒ बढ़ते नाखूनों के माध्यम से प्रकृति मनुष्य को उसके प्राचीन अतीत की याद दिलाती है। प्राचीन काल में जब मनुष्य जंगली जीवन व्यतीत करता था, तब वह अपने नाखूनों और दाँतों का उपयोग शिकार करने और अपनी रक्षा के लिए करता था।
समय के साथ, आधुनिक उपकरणों और हथियारों के आविष्कार के कारण नाखूनों का उपयोग कम हो गया। लेकिन नाखून आज भी बढ़ते हैं, जो यह संकेत देते हैं कि मनुष्य का अस्तित्व उन्हीं आदिम प्रवृत्तियों से विकसित हुआ है। प्रकृति इस तथ्य को नाखूनों के माध्यम से हमें बार-बार स्मरण कराती है कि हमारी जड़ें प्राचीनतम नख-दंत पर निर्भर रहने वाले जीवों में हैं।
Q4. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना। कहाँ तक संगत है ?
Ans:⇒ लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना संगत है, क्योंकि प्राचीन काल में जब मनुष्य जंगली था, तब नाखून ही उसका मुख्य अस्त्र था, जिसका उपयोग वह अपनी सुरक्षा और संघर्ष में करता था। सभ्यता के विकास के साथ नाखूनों का उपयोग कम हुआ, लेकिन जब कोई अन्य अस्त्र उपलब्ध न हो, तो मनुष्य स्वाभाविक रूप से नाखूनों का ही उपयोग करेगा। यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।
Q5. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?
Ans:⇒ प्रारंभिक काल में जब मनुष्य जंगली था, तब नाखूनों का उपयोग अस्त्र के रूप में करता था। लेकिन सभ्यता के विकास के साथ, उसे नाखूनों से अधिक शक्तिशाली अस्त्र प्राप्त हो गए। परिणामस्वरूप, आजकल नाखूनों का अस्त्र के रूप में कोई उपयोग नहीं है, और मनुष्य इन्हें सौंदर्य के रूप में संवारने और काटने में अधिक रुचि रखता है।
Q6. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं? इनका क्या अभिप्राय है ?
Ans:⇒ मनुष्य में कुछ सहज वृत्तियाँ होती हैं जो स्वाभाविक रूप से होती हैं, जैसे नाखूनों का बढ़ना। नाखूनों का बढ़ना पशुत्व का संकेत है, क्योंकि प्राचीन समय में यह अस्त्र के रूप में उपयोग होते थे। नाखूनों को काटना मनुष्यता की पहचान है, क्योंकि यह दिखाता है कि मनुष्य अपने पशुत्व को छोड़ चुका है और सभ्यता की ओर बढ़ चुका है। लेखक का अभिप्राय यह है कि नाखूनों का बढ़ना पशुता का प्रतीक है, जिसे मनुष्य काटकर सभ्यता और विकास की ओर बढ़ता है।
Q7. स्वाधीनता शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है ?
Ans:⇒ लेखक के अनुसार, स्वाधीनता शब्द की सार्थकता यह है कि यह केवल बाहरी स्वतंत्रता नहीं, बल्कि अपने आप को स्वयं के नियंत्रण में रखना और अनुशासन में रहना है। स्वाधीनता का वास्तविक अर्थ अपने कर्मों और विचारों पर नियंत्रण रखना है, न कि अव्यवस्था और उच्छृंखलता में जीना। यह मनुष्य की मानसिक और आत्मिक स्वतंत्रता का प्रतीक है।
Q8. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें ।
Ans:⇒ लेखक ने संस्कृति की विशेषता को बताते हुए कहा है कि मरे हुए बच्चे को गोद में दबाए रखने वाली बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक का अभिप्राय यह है कि बंदरिया अपनी आदतों को छोड़ने में सक्षम नहीं है, जबकि मनुष्य को अपनी मानसिकता और पुरानी आदतों को छोड़कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यह दिखाता है कि मनुष्य को अपने विकास और संस्कृति की दिशा में सकारात्मक परिवर्तन करने की क्षमता होनी चाहिए, न कि बंदर की तरह अतीत से चिपके रहना चाहिए।
Q9. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस और बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुध्यता की ओर स्पष्ट करें ।
Ans:⇒ लेखक यह सवाल उठाते हैं कि मनुष्य किस दिशा में बढ़ रहा है - पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर, क्योंकि वर्तमान समय में मनुष्य के आचार-व्यवहार और प्रवृत्तियाँ कभी-कभी पशुता की ओर झुकती नजर आती हैं। उदाहरण के तौर पर, मनुष्य में विनाशक अस्त्र-शस्त्रों को रखने और उनके उपयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो कि पशुता की एक निशानी है। लेखक का अभिप्राय यह है कि यदि मनुष्य अपनी मूलभूत मानवीय गुणों और संस्कारों को छोड़कर केवल हिंसा और विनाश की ओर बढ़ेगा, तो वह अपनी मनुष्यता खोकर पशुता की ओर अग्रसर होगा।
Q10. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी.. एक दिन झड़ जाएँगे। - प्राणि शास्त्रीयों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है ?
Ans:⇒ प्राणि शास्त्रियों के इस अनुमान से कि मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे, लेखक के मन में यह आशा जागती है कि शायद नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा। इस परिवर्तन के साथ मनुष्य की पशुता भी समाप्त हो जाएगी और वह पूरी तरह से सभ्य और मानवतावादी बन जाएगा, जिससे पृथ्वी एक स्वर्ग के समान बन जाएगी।
Q11. लेखक की दृष्टि से हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है? स्पष्ट करें ।
Ans:⇒ लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हमें अपने आप पर, यानी अपने स्व पर, लगाए गए बंधन को समझने और स्वीकारने की क्षमता देती है। हमारी संस्कृति हमें यह सिखाती है कि स्व-नियंत्रण और आत्म-अनुशासन ही वास्तविक स्वतंत्रता हैं। इस बंधन को हम आसानी से नहीं छोड़ सकते, क्योंकि यही हमें एक बेहतर और सभ्य जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह बंधन ही हमारी संस्कृति की ताकत है।
व्याख्या करें:-
Q11. काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे, पर निर्लज्न अपराधी की भाँति छूटते ही सेन्ध पर हाजिर
Ans:⇒ प्रस्तुत पंक्ति "काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे, पर निर्लज्ज अपराधी की भाँति छूटते ही सेन्ध पर हाजिर" हजारी प्रसाद द्विवेदी के 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' शीर्षक पाठ से उद्धृत है। लेखक का अभिप्राय है कि जब मनुष्य पर निगरानी होती है, तब वह अपने आचरण में अनुशासन बनाए रखता है। गलती होने पर वह दंड स्वीकार कर लेता है, जैसे नाखून काटे जाने पर व्यक्ति चुप रहता है। लेकिन जब निगरानी खत्म हो जाती है या वह स्वतंत्र होता है, तो अपनी पूर्व आदतों में लौट आता है, जैसे अपराधी छूटते ही फिर से अपने अपराधों को दोहराते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह दिखाना चाहते हैं कि मनुष्य की आदतें और प्रवृत्तियाँ बाहरी नियंत्रण के बिना कभी नहीं बदलतीं।
Q12. मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी- कभी निराश हो जाता हूँ। व्याख्या करें
Ans:⇒ प्रस्तुत पंक्ति "मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ" तो कभी- कभी निराश हो जाता हूँ" हजारी प्रसाद द्विवेदी के 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' शीर्षक पाठ से ली गई है। लेखक का अभिप्राय है कि जब वह मनुष्य के नाखूनों की ओर देखते हैं, तो उन्हें मनुष्य की पाशविक प्रवृत्तियों का अहसास होता है, जो उसे पशुता से जोड़ती हैं। आजकल, जब विभिन्न देश परमाणु परीक्षण कर रहे हैं, तो यह दिखाता है कि मनुष्य अपनी सभ्यता और मानवता से भटककर पशुता की ओर लौट रहा है। इस प्रवृत्ति को देखकर लेखक को निराशा होती है, क्योंकि मनुष्य को अपनी सभ्यता और संस्कृति के उच्च मानकों पर बने रहना चाहिए।
Q13. कमवरूत नाखून बढ़ते हैं तो बढ़े, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा। व्याख्या करें ।
Ans:⇒ प्रस्तुत पंक्ति "कमवरूत नाखून बढ़ते हैं तो बढ़े, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा” हजारी प्रसाद द्विवेदी के 'नाखून क्यों बढ़ते हैं' शीर्षक पाठ से उद्धृत है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य की पाशविक प्रवृत्तियाँ, जैसे नाखूनों का बढ़ना, उसके भीतर स्वाभाविक रूप से होती हैं, लेकिन मानवता और ज्ञान की शक्ति उसे उन प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने और पराजित करने की क्षमता देती है। पाशविकता क्षणिक संतोष देती है, जबकि स्थायी सुख और शांति मानवता और सभ्यता में होती है। नाखूनों का बढ़ना हमारी पशुता का प्रतीक है, जबकि उन्हें काटना हमारे पशुत्व पर विजय प्राप्त करने का संकेत है। यह मनुष्य के आत्मसंयम और उन्नति की ओर बढ़ने की प्रक्रिया को दर्शाता है।