Class 10th Sanskrit Mangalam Chapter 1 Subjective Question Answer || कक्षा 10 संस्कृत मंगलम पाठ - 1 का प्रश्न उत्तर
![]() |
मैट्रिक फाईनल संस्कृत परीक्षा 2025 |
मैट्रिक 2025 विद्यार्थीयों को अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएँ ।विद्यार्थियों के जीवन की पहली बड़ी परीक्षा है मैट्रिक परीक्षा। 10वीं कक्षा के मैट्रिक विद्यार्थीयों के लिए हिंदी विषय तैयारी के उद्देश्य से WWW.ALLEDUCATIONNEWZ.IN वेबसाइट की ओर से कक्षा 10 के संस्कृत प्रथम पाठ मंगलम पाठ के सब्जेक्टिव प्रश्नों के उत्तर प्रदान किया गया है। BSBE Class 10th Sanskrit Subjective Question Answer 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों संस्कृत मंगलम पाठ - 1 का प्रश्न उत्तर दिए गया हे जो आपकी बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 की तैयारी कर सकते हैं ।
Class 10th Sanskrit Mangalam Chapter 1 Subjective Question Answer: कक्षा 10 संस्कृत मंगलम पाठ - 1 का प्रश्न उत्तर
1. एकपदेन उत्तरं वदत:
[क] हिरण्मयेन पात्रेण कस्य मुखम् अपिहितम् ?
Ans- सत्यस्य
(ख) सत्यधर्माय प्राप्तये किम् अपावृणु ?
Ans-हिरण्मय पात्रम्
[ग] ब्रह्मणः मुखं केन आच्छादितमस्ति ?
Ans-हिरण्यमय पात्रेण
(घ) महतो महीयान् कः ?
Ans-आत्मा
(ङ) अणोः अणीयान् कः ?
Ans-आत्मा
[च] पृथिव्यादे : महत्परिमाणयुक्तात् पदार्थात् महत्तरः कः?
Ans-आत्मा
[छ] कीदृशः पुरुषः निजेन्द्रियप्रसादात् आत्मनः महिमानं पश्यति शोकरहितश्च भवति ?
Ans-धातु प्रसाद पुरुषः
[ज] किं जयं प्राप्नोति ?
Ans-सत्यम्
(झ) किं जयं न प्राप्नोति ?
Ans-असत्यम्
(ञ) काः नाम रूपञ्च विहाय समुद्रे अस्तं गच्छन्ति?
Ans-नद्यः
2. अधोलिखितम् उदाहरणम् अनुसृत्य प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि
पूर्णवाक्येन लिखत:
[क] कस्य गुहायाम् अणोः अणीयान् आत्मा निहितः अस्ति ?
Ans-जन्तो गुहायाम् अणोः अणीयान् आत्मा निहितः अस्ति ।
[ख] विद्वान् कस्मात् विमुक्तो भूत्वा परात्परं पुरुषम् उपैति ?
Ans-विद्वान् नामरूपाद् विमुक्तो भूत्वा परात्परं पुरुषम् उपैति ।
[ग] आप्तकामा ऋषयः केन पथां सत्यं प्राप्नुवन्ति ?
Ans- आप्तकामाः ऋषयः देवयानेन् पथां सत्यं प्राप्नुवन्ति।
(घ) विद्वान् कीदृशं पुरुषं वेत्ति ?
Ans-विद्वान् महान्तं पुरुषंवेत्ति ।
Q1. आत्मा का स्वरूप क्या है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
Ans:- कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का विश्लेषण किया गया है। आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है। यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य का अन्वेषण करता है। वह शोकरहित होता है।
Q2. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
Ans:- इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होतो है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषदग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।
Q3. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं?
Ans:- श्वेताश्वर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकार स्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं। महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।
Q4. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है?
Ans:- मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद-व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अहम को त्यागकर ब्रह्म को प्रात कर लेता है।
Q5. मंगलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें।
Ans:- सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। झूठ कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्रशस्त होता है। मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोग सत्य को प्राप्त करके ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है।
Q- मंगलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ।
Ans- मंगलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात ईश्वर का दर्शन करते हैं।