गोधूलि भाग 2 Class 10 Chapter 6 बहादुर (कहानी) प्रश्न उत्तर - Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Bahadur Subjective Question Answer

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गोधूलि भाग 2 Class 10 Chapter 6 बहादुर प्रश्न उत्तर - Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 Bahadur Subjective Question Answer

 📚 बहादुर (कहानी) प्रश्न उत्तर 📚 

Q1. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए ।

Ans:⇒ पहली बार दिखाई देने वाले बहादुर का नाम दिल बहादुर था। वह एक बारह-तेरह साल का बालक था, जिसका शरीर स्वस्थ और रंग गोरा था। उसका चेहरा चपटा था। उसने सफेद नेकर और सफेद कमीज पहनी हुई थी, साथ ही भूरे रंग के पुराने जूते भी पहने थे। उसके गले में स्काउट की तरह एक रूमाल बँधा हुआ था, जो उसके व्यक्तित्व को और आकर्षक बनाता था।

Q2. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?

Ans:⇒ लेखक को नौकर रखना बहुत जरूरी इसलिए लगने लगा क्योंकि उन्होंने देखा कि उनके भाई और रिश्तेदारों के यहाँ नौकर काम करते हैं, जबकि उनकी भाभियाँ आराम करती हैं। जब लेखक बहन की शादी में घर आए, तो उन्होंने महसूस किया कि उनकी पत्नी हर काम खुद करती है और बहुत मेहनत करती है। इस तुलना से लेखक को यह बात खलने लगी और उन्होंने सोचा कि नौकर रखना आवश्यक है ताकि उनकी पत्नी को भी आराम मिल सके।

Q3. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?

Ans:⇒ बहादुर अपने घर का बड़ा लड़का था, इसलिए उसकी माँ चाहती थी कि वह कुछ काम करे। काम को लेकर माँ अक्सर उसे पीटती थी। बहादुर कभी-कभी पशुओं को चराने जाता था। एक बार उसने अपनी माँ की प्रिय भैंस को बहुत मारा। भैंस भागकर उसकी माँ के पास चली गई। जब बहादुर लौटा, तो माँ ने उसे डंडे से दुगुनी पिटाई कर दी। इस घटना से बहादुर का मन माँ से खिन्न हो गया। वह रातभर जंगल में छिपा रहा। सुबह होने पर वह चुपके से घर से कुछ रुपए लेकर भाग गया।

Q4. बहादुर के नाम से दिल शब्द क्यों उड़ा दिया गया ?

Ans:⇒ बहादुर का पूरा नाम दिलबहादुर था। उसके नाम से "दिल" शब्द इसलिए हटा दिया गया क्योंकि पुकारने के लिए छोटा नाम अधिक उपयुक्त और सरल समझा गया। इसके अतिरिक्त, वह एक नौकर था, और समाज में नौकरों को उनके पूरे नाम से बुलाने की परंपरा कम ही देखी जाती है। निर्मला ने भी उसे केवल उसके काम तक सीमित रखा और उसके नाम से "दिल" शब्द हटा दिया।

Q5. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?

Ans:⇒ बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। घर का वातावरण उत्साहपूर्ण और सुव्यवस्थित हो गया। लेखक की पत्नी की तबीयत में भी सुधार हुआ। घर साफ-सुथरा रहने लगा, और परिवार के सभी सदस्य आरामदायक स्थिति में आ गए। कोई भी सदस्य अपना काम स्वयं नहीं करता था; वे केवल बहादुर को आवाज देकर उसे काम बताते थे, और बहादुर हर कार्य पूरी निष्ठा से करता था।

Q6. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?

Ans:⇒ बहादुर ने लेखक का घर इसलिए छोड़ दिया क्योंकि घर के सभी लोग उसके प्रति दुर्व्यवहार करने लगे थे। लेखक का बेटा उस पर दबाव डालकर काम करवाने लगा। धीरे-धीरे पत्नी और पुत्र ने भी छोटी-छोटी बातों पर उसकी पिटाई शुरू कर दी। एक दिन, एक रिश्तेदार ने बहादुर पर पैसे चोरी का आरोप लगाया, जिसके कारण लेखक ने भी उसकी पिटाई कर दी। इन सभी कारणों से आहत होकर और बार-बार प्रताड़ित होने के कारण बहादुर ने लेखक का घर छोड़ दिया।

Q7. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ा ?

Ans:⇒ लेखक के रिश्तेदारों ने बहादुर पर चोरी का आरोप इसलिए लगाया क्योंकि वह घर का नौकर था। उन्होंने बच्चों को पैसे न देने का बहाना बनाया था, और यदि बच्चों पर आरोप लगाते तो लेखक उन्हें सहन नहीं करते। चूंकि नौकर गरीब होता है, उसे ही नीच समझकर चोरी का आरोप लगा दिया गया। इस आरोप का बहादुर पर बुरा असर पड़ा। वह उदास रहने लगा और अपने काम में लापरवाही दिखाने लगा।

Q8. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों हुआ ?

Ans:⇒ बहादुर ने हमेशा सबको सुख दिया, लेकिन उसे किसी ने सच्चे दिल से प्यार नहीं दिया। सबने उसके साथ बुरा व्यवहार किया, उसे मार-पीट किया और उसकी कड़ी मेहनत का सही मूल्य नहीं दिया। घर के मालिक ने भी उसे डांट-फटकार के बावजूद काम करने के लिए मजबूर किया। जब एक दिन बहादुर बिना अपनी पगार लिए और अपनी छोटी-मोटी जरूरतों की चीजें छोड़कर चला गया, तो सभी को अपने व्यवहार का पछतावा हुआ।

Q9. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ ?

Ans:⇒ निर्मला को बहादुर के चले जाने का अफसोस इस कारण हुआ कि उसने बहादुर के साथ सही व्यवहार नहीं किया। रिश्तेदारों द्वारा चोरी का आरोप लगाए जाने पर वह गुस्से में आकर बहादुर को पीट देती है, जिससे वह बिना कुछ लिए घर से चला जाता है। बाद में निर्मला को उसकी ईमानदारी का एहसास होता है, और उसे अपने किए पर पछतावा होता है।

व्याख्या:

Q10. उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों।

Ans:⇒ प्रस्तुत पंक्ति "उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों” अमर कांत जी की कहानी "बहादुर" से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने बहादुर की मासूमियत और निस्संकोच हंसी को दर्शाया है। लेखक का यह वर्णन बहादुर की सरलता और कोमलता को उजागर करता है। उसकी हँसी में एक खास प्रकार की मासूमियत थी, जो फूल की पंखुड़ियों की तरह प्यारी थी।

यह पंक्ति यह भी बताती है कि बहादुर एक बच्चा था, जिसका स्वभाव स्वाभाविक रूप से खुश और निर्दोष था, लेकिन समाज और उसके द्वारा उठाए गए आरोपों ने उसकी मासूमियत को नष्ट कर दिया। अगर समाज में भेदभाव और अन्याय न होता, तो बहादुर का जीवन और उसका बचपन सही मायने में सुरक्षित और खुशहाल होता।

Q12. पर अब बहादुर से भूल गलतियाँ अधिक होने लगी थी।

Ans:⇒ प्रस्तुत पंक्ति "पर अब बहादुर से भूल गलतियाँ अधिक होने लगी थीं” अमर कांत जी की कहानी "बहादुर" से ली गई है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक बहादुर की कठिन स्थिति को उजागर करते हैं। बहादुर, जो कम उम्र में ही घर का काम करने के लिए विवश था, छोटी-छोटी गलतियों पर कठोर सजा पाता था। उसे चोर के रूप में भी पेश किया जाता था, जिससे उसकी मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस दबाव और अन्याय के कारण बहादुर से भूल और गलतियाँ अधिक होने लगी थीं, क्योंकि वह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तनाव का भी सामना कर रहा था। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहते हैं कि जब किसी व्यक्ति को उसके बचपन और मासूमियत से वंचित किया जाता है, तो उसकी गलतियाँ बढ़ जाती हैं और वह एक प्रकार से टूट जाता है।

Q13. अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता । व्याख्या करें।

Ans:⇒ यह पंक्ति अमरकांत जी के "बहादुर" पाठ से है, जिसमें
लेखक बताते हैं कि जब बहादुर नौकर घर में था, तब उसकी अहमियत किसी ने नहीं समझी। लेकिन जब वह चला गया, तो उसकी कमी महसूस की गई। लेखक की पत्नी यह कह रही हैं कि अगर वह कुछ चुराकर ले जाता तो कम से कम उसे संतोष होता कि उसने कुछ दिया। यह पंक्ति दर्शाती है कि लोग तब ही किसी की अहमियत समझते हैं जब वह चला जाता है।

Q14. यदि मैं न मारता तो, शायद वह न जाता।

Ans:⇒ यह पंक्ति अमरकांत जी के "बहादुर" पाठ से ली गई है, जिसमें लेखक अपने किए पर पश्चाताप व्यक्त कर रहे हैं। लेखक बताते हैं कि घर के अन्य सदस्य बहादुर को मारते रहते थे, लेकिन वह उसे ममता और सहानुभूति के साथ समझते थे। जब लेखक ने भी एक दिन उसे मारा, तो बहादुर की सहनशक्ति टूट गई और वह घर से भाग गया। लेखक का यह पश्चाताप है कि अगर उन्होंने उसे नहीं मारा होता, तो शायद वह घर से नहीं जाता।
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